एडवोकेट ने भारतीय चुनाव आयोग और सीईओ, हरियाणा को लिखकर उठाया मामला
फेस2न्यूज /चंडीगढ़
हाल ही में 25 सितम्बर 2024 को हरियाणा सरकार के शासकीय गजट (राजपत्र) में प्रदेश के लॉ एंड लेजिस्लेटिव (विधि एवं विधायी) विभाग द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन मार्फ़त हरियाणा गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जी.एस.टी.) संशोधन अध्यादेश, 2024 प्रकाशित किया गया जिस पर प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा 21 सितम्बर 2024 को प्रदान की गई स्वीकृति का उल्लेख किया गया है.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार (9416887788) ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 213(1) में प्रावधान है कि उस समय जब राज्य विधानसभा का सत्र न चल रहा हो, यदि किसी राज्यपाल (अर्थात प्रदेश सरकार की अनुसंशा पर) को प्रतीत हो कि ऐसी परिस्थितयों विद्यमान है कि तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है, तो राज्यपाल प्रदेश के लिए किसी नए कानून को या किसी मौजूदा कानून में संशोधनों को अध्यादेश (आर्डिनेंस) के रूप में प्रख्यापित (जारी) कर सकता है जो तत्काल तौर पर प्रदेश भर में प्रभावी अर्थात लागू हो जाता है.
हेमंत ने गत दिनों भारतीय चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), हरियाणा को लिखकर उपरोक्त हरियाणा जी.एस.टी. (संशोधन) अध्यादेश, 2024 की नोटिफिकेशन प्रकाशित होने के समय पर सवाल उठाते हुए अपील की है कि चुनाव आयोग को सार्वजनिक करना चाहिए कि क्या हरियाणा में वर्तमान कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में सत्तासीन प्रदेश सरकार द्वारा राज्यपाल से उक्त अध्यादेश प्रख्यापित कराने से पहले आयोग से अनुमति प्रदान की गयी चूँकि प्रदेश में गत छ: सप्ताह से अर्थात बीते माह 16 अगस्त बाद दोपहर चुनाव आयोग द्वारा हरियाणा विधानसभा आम चुनाव की घोषणा के दृष्टिगत आदर्श आचार संहिता लागू है एवं इस दौरान प्रदेश सरकार द्वारा कोई भी विधायी या प्रशासनिक आदि कार्य करने से पूर्व चुनाव आयोग से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होता है.
हेमंत ने आयोग से यह भी सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट करने की अपील की है कि ऐसी क्या अत्यधिक आवश्यक एवं अपरिहार्य परिस्थितयां रही जिसके कारण प्रदेश की वर्तमान कार्यवाहक नायब सैनी सरकार को राज्यपाल मार्फ़त उक्त अध्यादेश जारी कराने की अनुसंशा करना पड़ी. वहीं अगर नायब सैनी सरकार द्वारा आचार संहिता लागू होने से पूर्व अर्थात गत माह 16 अगस्त से पूर्व राज्यपाल को उपरोक्त अध्यादेश प्रख्यापित कराने के लिए अनुसंशा की गई थी, तो राज्यपाल द्वारा इस विषय में एक माह से ऊपर का समय लेने पर भी सवाल उठता है.
हेमंत ने यह भी लिखा है कि इसी माह 12 सितम्बर को हरियाणा के राज्यपाल द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 (2-बी ) के अंतर्गत हरियाणा की निवर्तमान 14वी विधानसभा, जिसका कार्यकाल 3 नवम्बर 2024 तक था, को समयपूर्व भंग कर दिया गया था चूँकि भारतीय संविधान द्वारा निर्देशित छ: माह की समयावधि के भीतर अर्थात 12 सितम्बर तक तत्कालीन प्रदेश विधानसभा का अगला सत्र नहीं बुलाया जा सका था एवं इस कारण निवर्तमान 14वीं हरियाणा विधानसभा के समयपूर्व भंग होने के फलस्वरूप प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित समस्त मंत्रिपरिषद कार्यवाहक बन गई है एवं इस दौरान केवल उसके द्वारा प्रदेश के हित में केवल अति आवश्यक फैसले ही लिए जा सकते हैं.
हेमंत ने आयोग से यह भी सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट करने की अपील की है कि ऐसी क्या अत्यधिक आवश्यक एवं अपरिहार्य परिस्थितयां रही जिसके कारण प्रदेश की वर्तमान कार्यवाहक नायब सैनी सरकार को राज्यपाल मार्फ़त उक्त अध्यादेश जारी कराने की अनुसंशा करना पड़ी.
वहीं अगर नायब सैनी सरकार द्वारा आचार संहिता लागू होने से पूर्व अर्थात गत माह 16 अगस्त से पूर्व राज्यपाल को उपरोक्त अध्यादेश प्रख्यापित कराने के लिए अनुसंशा की गई थी, तो राज्यपाल द्वारा इस विषय में एक माह से ऊपर का समय लेने पर भी सवाल उठता है.
यही नहीं हेमंत ने अध्यादेश का अध्ययन कर एक और रोचक परन्तु महत्वपूर्ण पॉइंट उठाते हुए बताया कि हालांकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123(1) में एवं प्रदेश के राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुच्छेद 213(1) में जब कोई अध्यादेश प्रख्यापित किया जाता है तो वह तत्काल प्रभाव से लागू हो जाता है परन्तु हरियाणा जी.एस.टी. (संशोधन) अध्यादेश, 2024 की धारा 1(2) में उक्त अध्यादेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने के स्थान पर ऐसा उल्लेख किया गया है कि यह उस तारिख से लागू होगा जो कि प्रदेश सरकार द्वारा एक अलग नोटिफिकेशन जारी कर निर्धारित की जायेगी एवं इस अध्यादेश की विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए अलग अलग तारीखें निर्धारित की जा सकती है. हेमंत का कहना कि इस प्रकार का उल्लेख अध्यादेश में नहीं किया जा सकता है क्योंकि अगर कोई नया कानून या मौजूदा कानून में संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू नहीं करना है, तो ऐसी परिस्थिति में अध्यादेश लाने का ही कोई औचित्य ही नहीं बनता है.
सनद रहे कि गत माह अगस्त में प्रदेश सरकार द्वारा हरियाणा के राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (आर्डिनेंस) प्रख्यापित (जारी) करवाए गये जिसमें प्रदेश में कॉन्ट्रैक्ट (संविदा ) आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करने बारे एक अध्यादेश, प्रदेश के नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग (ब्लाक- बी) के व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने बारे कुल तीन अध्यादेश और हरियाणा शामलात (सांझा) भूमि विनियमन (संशोधन) अध्यादेश शामिल थे.. इस सभी को प्रदेश के राज्यपाल द्वारा 14 अगस्त को स्वीकृति प्रदान की गयी थी जिनमें से कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा बारे अध्यादेश की तो 14 अगस्त को शाम को ही गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित हो गई थी जबकि शेष चार अध्यादेश का 16 अगस्त (हालांकि आदर्श आचार संहिता लागू होने से पूर्व) प्रदेश सरकार के गजट में अधिसूचना के तौर पर प्रकाशन किया गया.
हेमंत ने बताया कि चूँकि निवर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा गत 12 सितम्बर को समयपूर्व भंग हो गयी है, इसलिए उक्त सभी 6 अध्यादेश को आगामी 8 अक्टूबर 2024 अर्थात विधानसभा आम चुनाव के नतीजों के बाद गठित हुई नई 15 वीं हरियाणा विधानसभा के बुलाए गए प्रथम सत्र में सदन में विधेयक के तौर पर पारित करने के लिए प्रदेश की नई सरकार द्वारा विधानसभा सदन में पेश करना होगा. अगर उपरोक्त सभी अध्यादेश उस सत्र में पारित हो जाते है तो ठीक है अन्यथा नई 15वीं हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र की तारिख से छ: सप्ताह के भीतर उक्त सभी 6 अध्यादेश स्वत: रद्द हो जायेंगे.