फेस2न्यूज /जयपुर
देश के प्रमुख मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रबुद्ध लेखक प्रो डॉ कृष्ण कुमार रत्तू ने कहा है कि जिस तरह पिछले एक दशक से देश बदल रहा है उस तरह मीडिया की भूमिका भी बदल रही है तथा मीडिया आज एक नए और तीखे अंदाज में सामने आ रहा है।
डॉ रत्तू जे के के कॉफ़ी हाउस में नयु पत्रकारिता तथा मीडिया संवाद कर रहे थे । इस अवसर उन्हों ने कहा कि जो समय आज़ विशेष करके सोशल मीडिया ने जिस तरह की एक नई दुनिया तथा एक नया मीडिया नेरेटिव का सृजन किया है वह अद्भुत है और वह इतना त्वरित गति से संप्रेषण के माध्यम से सामने आ रहा है कि उन्होंने टेलीविजन जैसे शक्तिशाली माध्यम को भी पीछे छोड़ दिया है।
उल्लेखनीय है कि डॉ रतू जो पिछले 55 साल से मीडिया की एक अहम शख्सियत हैं तथा भारतीय प्रसारण सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं और कई पुस्तकों के लेखक डॉ रत्तू का यह भी मानना है कि इन दिनों सोशल मीडिया तथा ओटीटी प्लेटफॉर्म मिलकर देश को एक नया मीडिया संदर्भ दे रहे हैं परंतु उन्होंने अफ़सोस प्रकट किया के इस वक्त जिस तरह की सोशल मीडिया विशेष कर टिक टोक से लेकर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भाषा का जिस तरह का निंदनीय प्रयोग हो रहा है तथा और कई कार्यक्रमों में तो ओटीटी प्लेटफॉर्म के सीरींज ऐसे हैं जिन्हें पूरे परिवार के साथ बैठकर देखा भी नहीं जा सकता ।
कई पुस्तकों के लेखक डॉ रत्तू का यह भी मानना है कि इन दिनों सोशल मीडिया तथा ओटीटी प्लेटफॉर्म मिलकर देश को एक नया मीडिया संदर्भ दे रहे हैं परंतु उन्होंने अफ़सोस प्रकट किया के इस वक्त जिस तरह की सोशल मीडिया विशेष कर टिक टोक से लेकर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भाषा का जिस तरह का निंदनीय प्रयोग हो रहा है तथा और कई कार्यक्रमों में तो ओटीटी प्लेटफॉर्म के सीरींज ऐसे हैं जिन्हें पूरे परिवार के साथ बैठकर देखा भी नहीं जा सकता ।
डॉ कृष्ण कुमार रत्तू का यह भी मानना था कि आने वाले दिनों में यदि कोई आचार संहिता सोशल मीडिया पर भारत के ब्रॉडकास्ट पर नहीं लगती तो यह एक अच्छा कदम होगा। हम इस नए सोशल मीडिया की धारा से नई पीढ़ी के लिए अपनी संस्कृति भाषा तथा अपनी परंपरा को लूटते हुए देखेंगे । उन्होंने मीडिया की रचनात्मक एवं मीडिया की साफ़ अभिव्यक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि मीडिया समाज का पथ प्रदर्शक होता है परंतु आज़ हम देख रहे हैं कि जिस तरह से बदला हुआ मीडिया जिसे कई तरह के नाम उप नाम से पुकारा जा रहा है ।
उनके अनुसार यह भी ठीक है कि हर सत्ता ने दुनिया के सारे देशों में मीडिया को अपने-अपने प्रचार प्रसार के लिए उपयोग में लाया है तो भारतीय मीडिया भी इस का अपवाद नहीं हो सकता है ।आज मीडिया की भूमिका इतनी शक्तिशाली होती है कि जो जनमानस को एक नई तरह का नेरेटिव सृजन का मौका देती है विशेष कर चुनाव के दिनों में। इस संप्रेषण के साथ जहां पर हमने पीढ़ी पर अनियंत्रित स्थिति को देखते-देख रहे हैं वहां पर मीडिया भी कहीं-कहीं अपना विश्वास तथा विश्वसनीयता को खो चुका है और जो दुखदाई है।
उन्होंने आशा प्रकट की कि जैसे-जैसे राजनीतिक तथा सामाजिक स्थिति ठीक होती है सौहार्द तथा अमन होता है वहां पर मीडिया की भूमिका बेहद रचनात्मक हो जाती है और मीडिया की मुख्य धारा का संदर्भ यही होना चाहिए कि वह लोकतंत्र की अभिव्यक्ति के सारे रोशन दिमाग तथा आम लोगों की अभिव्यक्ति का एक रोशन रास्ता बना सके ।
उन्होंने दुनिया में आने वाले दिनों में मीडिया की इस भूमिका को और रचनात्मकता के साथ आगे बढ़ाने की कोशिश का आवाहन किया है तथा पत्रकारों तथा सोशल मीडिया के लोगों से भी उम्मीद रखी है कि वह समाज की स्थितियों को देखते हुए एक अच्छे समाज के सजन के लिए आगे आए तथा इसी में ही एक नए भारत के सृजन में वह उसकारात्मक तथा विकसित भारत के लिए अपना योगदान दे सकते हैं ।