पुरोहित ने 9 करोड़ रूपय की लागत से तैयार नये ऐथिलेटिक ट्रैक को भी शहरवासियों को समर्पित किया
फेस2न्यूज /चंडीगढ़
नगर प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित ने राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर चंडीगढ़ की खेल पॉलिसी की शुरूआत की। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है जो हमारे शहर को खेल और खिलाड़ियों के विकास की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
पुरोहित ने आज 9 करोड़ रूपय की लागत से तैयार नये ऐथिलेटिक ट्रैक को भी शहरवासियों को समर्पित किया गया। पुरोहित ने कहा, खेल पुरातन काल से ही भारत की सभ्यता का हिस्सा रहे हैं।रामायण काल हो, महाभारत काल हो या वेदों-पुराणों का समय हो खेल प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से जनजीवन का हिस्सा रहे हैं।
घुड़सवारी, तलवारबाजी, तिरंदाजी, कुश्ती, मल्लखम्भ, रथों की दौड़, तैराकी, चौसर इत्यादी खेलों का प्राचीन भारत में प्रचलन था। अर्जुन, एकलव्य, भीम, गुरू द्रोणाचार्य, कौन नहीं परिचित इन नामों से!
खेल केवल मनोरंजन के लिए नहीं खेले जाते थे बल्कि शारीरिक व मानसिक स्फूर्ति के विकास का साधन थे। समय के साथ खेलों कि किस्में और इनका स्वरूप बदलता रहा परंतु यह हमेशा से हमारी जिंदगी का अभिन्न अंग रहे हैं। हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है परंतु खेल क्षेत्र के प्रति उदासीनता के कारण एक दौर ऐसा भी आया कि हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप नहीं छोड़ पाये। लेकिन पिछले तकरीबन एक दशक में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं।
पुरोहित ने कहा, खेलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाया गया है। खेल को उसी श्रेणी में रखा गया है जैसे साइंस, कॉमर्स, गगणित या दूसरी पढ़ाई; अब वह अतिरिक एक्टिविटी नहीं माने जाएंगे बल्कि खेलों का उतना ही महत्व होगा जितना बाकी विषयों का।
साल 2014 के मुकाबले देश का खेल बजट लगभग 3 गुना बढ़ाया गया है। फिट इंडिया, खेलो इंडिया, Target Olympic Podium Scheme (TOPS), खेल यूनिवर्सिटियों की स्थापना इत्यादि अनेक कदम खेल eco system को उत्साहित करने के लिए उठाये गये हैं।
पुरोहित ने कहा, खेलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाया गया है। खेल को उसी श्रेणी में रखा गया है जैसे साइंस, कॉमर्स, गगणित या दूसरी पढ़ाई; अब वह अतिरिक एक्टिविटी नहीं माने जाएंगे बल्कि खेलों का उतना ही महत्व होगा जितना बाकी विषयों का।साल 2014 के मुकाबले देश का खेल बजट लगभग 3 गुना बढ़ाया गया है।
ऐसे में हर राज्य का भी यह दायित्व है कि स्थानीय स्तर पर खेलों और खिलाड़ियों का प्रोत्साहित करने के लिए योग्य कदम उठायें। इस नई नीति के तहत, ओलिंपिक/पैरा ओलिंपिक खेलों के स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक विजेताओं को करोड़ों रूपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। अन्य टूर्नामेंटों में शहर और देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को भी नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। खेल कोटा के तहत नौकारियां दी जायेंगी। विशाल बुनियादी ढांचे वाले विभिन्न खेलों के कोचिंग सेंटर खोले जायेंगे।
पुरोहित ने कहा, मेरा यह मानना है कि खेल क्षमता की पहचान जल्द से जल्द कर खिलाड़ियों को उचित ट्रेनिंग देनी चाहिए। हमारी नई खेल नीति का प्रतिभा खोज कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके तहत 6 से 9, 9 से 11 और 11 से 13 वर्ष के आयु वर्ग के लिए प्रतिवर्ष प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी और उत्तीर्ण होने वाले खिलाड़ियों के लिए विशेष ट्रेनिंग कैम्प आयोजित किये जायेंगे। पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के कोचों को उनकी कड़ी मेहनत, समपर्ण और प्रतिभागिता के सम्मान में नकद पुरस्कार दिये जायेंगे। कोचों को अंतर्राज्यीय व अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान कार्यक्रम, सेमीनार और वार्ताओं में सम्मिलित कर उन्हें नियमित प्रशिक्षण आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया जायेगा।
खिलाड़ियों का डाटा बैंक तैयार करना, खिलाड़ी के घायल होने की सूरत में पुनर्वास, बीमा, पुस्तकालय और खेल पर्यटन को बढ़ावा देना नई खेल नीति का हिस्सा होंगे। सब-जूनियर और जूनियर चैम्पियनशिप में पहले 3 स्थान-धारकों के लिए दिए जाने वाली छात्रवृत्ति बढ़ा दी गई है।
वैश्विक स्तर पर असाधारण उपलब्धि के लिए खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, रेफरी/अंपायरों, physical education trainers और दिव्यांग खिलाड़ियों में से चुने गये विशेष व्यक्तियों को special ‘‘प्रशासक पुरस्कार’’(Administrator’s Award) द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
पुरोहित ने टैनिस की महान खिलाड़ी बिली जीन किंग का हवाला देते हुआ कहा, ‘‘खेल आपको चरित्र निर्माण सिखाता है, यह आपको नियमों के अनुसार खेलना सिखाता है, यह आपको यह जानना सिखाता है कि जीतना और हारना कैसा होता है - यह आपको जीवन जीना सिखाता है।’’
इसके अलावा युवा शक्ति जब खेलों में रच जाती है तो वे मादक पदार्थों की लत, अपराध और विकारों से दूर हो जाते हैं। यह नीति वित्तीय पहलू से अधिक सुरक्षा की भावना पैदा करके युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।