संजय कुमार मिश्रा:
भारतीय साक्ष्य अधीनियम 1872 के धारा 76 के तहत आवेदक को सत्यापित प्रतिलिपि नहीं देने पर बीकानेर जिला उपभोक्ता आयोग ने ग्राम विकास अधिकारी पर लगाया 25000 रूपये का जुर्माना। आयोग ने कहा कि आवेदक द्वारा कानून के तहत फीस का भुगतान के बावजूद भी प्रतिपक्षी ने मांगी गई दस्तावेज की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं करवाकर सेवा में कमी को सिद्ध किया है और आवेदक ने शुल्क का भुगतान कर खुद को उपभोक्ता साबित किया है।
शंकर लाल निवासी लूणकरणसर, जिला बीकानेर राजस्थान ने पहली अप्रैल 2023 को अपने इलाके के ग्राम विकास अधिकारी से ख़रीदे गए कचरापात्र के बीजक की सत्यापित प्रतिलिपि चाही। इसके लिए आवेदक ने क़ानूनी फीस के रूप में 2 रूपये का कोर्ट फ़ीस का टिकट आवेदन पर चिपकाया और फिर फोटोस्टेट एवं डाकखर्च के लिए 60 रूपये का पोस्टल आर्डर भी भेजा, लेकिन ग्राम विकास अधिकारी ने उपरोक्त बिल की सत्यापित प्रतिलिपि आवेदक को उपलब्ध नहीं कराई। आवेदक ने उक्त अधिकारी के कार्यालय के कई चक्कर लगाए लेकिन फिर भी चाही गई दस्तावेज की प्रतिलिपि नहीं मिली।
थक हारकर आवेदक ने सेवा में कमी की शिकायत जिला उपभोक्ता आयोग बीकानेर में की। आयोग ने प्रतिपक्षी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा लेकिन प्रतिपक्षी हाजिर नहीं हुआ इसलिए आयोग ने प्रतिपक्षी को एक्स पार्ट घोषित कर एकतरफा फैसला सुनाया।
शिकायत संख्या 247 ऑफ़ 2023 पर आयोग ने 3 जनवरी 2024 को अपना फैसला सुनाते हुए कहा- आवेदक ने साक्ष्य अधिनियम के तहत फीस का भुगतान करते हुए दस्तावेज की प्रतिलिपि चाही जो उसे उपलब्ध नहीं करवाकर प्रतिपक्षी ने सेवा में कमी की है, आवेदक ने फीस का भुगतान करके खुद को उपभोक्ता साबित किया है और वह सत्यापित प्रतिलिपि नहीं मिलने पर 60 रूपये फीस की वापसी के साथ 20 हजार रूपये के मुआवजे का हकदार है, साथ ही आवेदक को मुकदमा खर्च के रूप में 5000 रुपया देने का आदेश दिया जाता है। प्रतिपक्षी आवेदक को इस आदेश के मिलने के 30 दिनों के भीतर 25060 रूपये का भुगतान करे अन्यथा इसके बाद उसे इस रकम पर 9 प्रतिशत की दर से ब्याज भी भरना होगा।