फेस2न्यूज/फाजिल्का
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के महायुद्ध की दास्तान सुनाई जाती है तो अब भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 3 दिसंबर 1971 की सायं पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोल दिया था। तोपों और टैंकों के आग बरसाते गोलों से फाजिल्का क्षेत्र का आकाश लाल हो चुका था।
सीमावर्ती ग्रामीण अपने अपने खेतों से घर की तरफ और नगर में दुकानदार दुकानें बंद कर अपने घरों में लौट आए। लड़ाई तेज होते देख बिना कुछ खाए पिए ही अपने परिवारों को सुरक्षित स्थानों की तरफ ले जाने के लिए दौड़ पड़े। उस समय दोपहिया वाहन और कारों के कम होने के कारण लोग बच्चों को कंधों पर बैठा पैदल निकले तो कई साइकिलों और अन्य वाहनों द्वारा अबोहर मलोट सड़क की तरफ चले गए।
कंपकंपाती सर्दी के चलते रास्ते की घटना बताते हुए लीलाधर शर्मा ने बताया कि एक बुजुर्ग कोटूराम अपनी भैंस पर चढ़कर सुरक्षित स्थान की तरफ जा रहा था। उन्होंने बताया कि मलोट अबोहर और बठिंडा की सामाजिक संस्थाओं ने युद्धग्रस्त क्षेत्र के लोगों के रहने खाने-पीने का उचित प्रबंध भी किया था।
कंपकंपाती सर्दी के चलते रास्ते की घटना बताते हुए लीलाधर शर्मा ने बताया कि एक बुजुर्ग कोटूराम अपनी भैंस पर चढ़कर सुरक्षित स्थान की तरफ जा रहा था। उन्होंने बताया कि मलोट अबोहर और बठिंडा की सामाजिक संस्थाओं ने युद्धग्रस्त क्षेत्र के लोगों के रहने खाने-पीने का उचित प्रबंध भी किया था।
युद्ध में फाजिल्का की गौशाला में गोला गिरने से कई गऊएं और ग्वाले भी भेंट चढ़ गए। वही बसों में चढ़ने से कई लोग घायल भी हुए। उसी युद्ध में फाजिल्का 25 दिनों तक खाली रहा। वहीं कई सीमावर्ती गांव पाकिस्तान ने अपने कब्जे में ले वहां के कई ग्रामीणों को गिरफ्तार कर पाकिस्तान की लखपत जेल में 10 माह तक रखा।